जिंदगी
नीँद आँखों में ,फिर से है आने लगी,
फिर नए ख्वाब हमको,दिखने लगी ।
ज्यों क्षितिज पर उगे ,भोर उजली किरण,
गुनगुनी धूप सी ,गुनगुनाने लगी।
ज्यों बहे प्यार से, मंद शीतल पवन,
तन में सिरहन सी,फिर से जगाने लगी।
ज्यों उमगती नदी ,पी से मिलने चले,
चाह मिलने की,फिर से जगाने लगी।
याद आने लगे,नेह के बीते पल,
ये जुबां गीत फिर,गुनगुनाने लगी।।
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